णमोकार तीर्थ QA

आपके खोज परिणाम मिल गए हैं |

उत्तर संख्या : 301 घमण्ड या अहंकार करने को मान कहते है। किसी बात का गर्व करने को मान कहते है।

उत्तर संख्या : 302 मान या गर्व में कोई अन्तर नहीं है क्योंकि दोनों में ही अहंकारीपना पाया जाता है।

उत्तर संख्या : 303 मान चार प्रकार का होता है : १. पाषाण या शैल के समान २. काष्ठ के समान ३. अस्थि के समान ४. वेंत के समान

उत्तर संख्या : 304 जैसे पाषाण या पत्थर का खंभा किसी के सामने नही झुकता उसी प्रकार जिस मान या अंहकार में जीव सच्चे देव शास्त्र गुरु के प्रति या किसी के सामने न झुके उसे पाषाण या पत्थर के समान मान कहते है।

उत्तर संख्या : 305 पाषाण के खम्मे के समान मान बहिरात्मा मिथ्यादृष्टि को होता है।

उत्तर संख्या : 306 पाषाण के खम्भे के समान मान अनंत काल तक रहता है।

उत्तर संख्या : 307 पाषाण के खम्भे समान मान को अनन्तानुबन्धी मान कहते है।

उत्तर संख्या : 308 अनन्तानुबन्धी मान छह महीने से लेकर अनंत काल तक रहता है।

उत्तर संख्या : 309 अनन्तानुबन्धी मान बल, मानं बढाई और ज्ञान आदि में अपने आपकों सबसे बडा मानने पर होता है। दूसरों को अपने से छोटा मानने के कारण होता है। किसी भी बात में अपने आप बडप्पन मानने पर होता है।

उत्तर संख्या : 310 अनन्तानुबन्धी मान भ. महावीर के शिष्य मक्खलीगोशाल ने किया था ।

उत्तर संख्या : 311 अनन्तानुबन्धी मान करने से पूज्य पुरुषों की अविनय होती है, एव सम्यक्त्व की हानि होती है। दूसरे लोगों से अपनी मित्रता खत्म हो जाती है। मान या अहंकार के कारण लडाई झगडे या बुराईयाँ होती है। मान कषाक ये कारण हिंसादि पापों में प्रवृत्ति होती है। आत्मा का पतन और दुर्गति की प्राप्ति होती है।

उत्तर संख्या : 312 अनन्तानुबन्धी मान करने वाले जीव मरकर नरक गति में जाते है।

उत्तर संख्या : 313 अनन्तानुबन्धी मान कषाय वाले जीव चारों गतियों में पाये जाने पर भी मुख्य रुप से नरक गति में पाये जाते है।

उत्तर संख्या : 314 जैसे अस्थि अर्थात-हड्डी बडी मुश्किल से झुकती है, वैसे ही जिस मान या अहंकार में जीव बडी मुश्किल से देव शास्त्र गुरु के सामने झुकते है, उसे अस्थि के समान मान कहते है।

उत्तर संख्या : 315 अस्थि के समान मान अविरत सम्यग्दृष्टि जीव को होता है।

उत्तर संख्या : 316 अस्थि के समान मान अन्तर्मुहूर्त से लेकर छह महीने तक रहता है।

उत्तर संख्या : 317 अस्थि के समान मान को अप्रत्याख्यान मान कहते है।

उत्तर संख्या : 318 अप्रत्याख्यान मान अधिक से अधिक छह महीने तक रहता है।

उत्तर संख्या : 319 अप्रत्याख्यान मान घर कुटुम्ब परिवार में अपना बडप्पन रखने से होता है। धन, बल, ज्ञान व रुप सौंदर्य में अपने आपको सबसे बधन, बल, ज्ञान व रुप सौंदर्य में अपने आपको सबसे बडा मानने पर होता है। किसी बात में अपने आपको सबसे श्रेष्ठ मानने पर होता है।

उत्तर संख्या : 320 अप्रत्याख्यान मान करने से देव शास्त्र गुरु की अविनय होती है, देशव्रत का घात होता है। घर कुटुम्ब परिवार में लोगो से वैमनस्य होता है। मित्रजनों से अपनी मित्रता खत्म हो जाती है। हिंसादि पापों में प्रवृत्ति होने से धर्म की हानि होती है। आत्मा का पतन और कर्मों का बंध होता है।

समाचार प्राप्त करें

जुड़े रहे

मालसेन, ताल चंदवाड़, जिला नासिक, महाराष्ट्र, भारत

+91

@ णमोकार तीर्थ

Copyright © णमोकार तीर्थ. All Rights Reserved.

Designed & Developed by softvyom.com