उत्तर संख्या :
183 हाँ, स्वयंभरमण समुद्र में महामत्स्य होता है, उसके कानों में तिमिंग्ल नामक तंदुल मत्स्य चावल के बराबर होता है, वह किसी को न मारता है, न किसी को खाता है, फिर भी जब महामत्स्य छह महिने तक मुंह खोलकर सोता है, तब उसके मुंह से अनेक जीव पेट के अन्दर आते जाते रहते हैं तब वह किसी को भी खाता नही है, तब उसके कानों में स्थित तंदुल मत्स्य जो कि चावल के बराबर होता है, वह देख-देखकर सोचता है, कि मैं अगर इतना बडा होता तो मैं सबको मारकर खा जाता, ऐसा सोचने के पाप के कारण वह तन्दुल मत्स्य मरकर सातवें नरक में जाता है।