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उत्तर संख्या : 221 जो वचन गर्हित, पाप सहित और अप्रिय होते हैं, उसे गर्हितादि असत्य वचन कहते हैं।

उत्तर संख्या : 222 किसी की चुगली करना, हास्य सहित रागवर्धक वचन बोलना, कठोर व कलहकारी एवं बिना मतलब के कुछ-कुछ बोलना, प्रलाप करना आदि को गर्हित वचन कहते है।

उत्तर संख्या : 223 जीवों को मारो, काटो, पीटो, छेद डालो, भेद दो, इसे हल में गाडी में जोत दो, बांध दो, इत्यादि वचन बोलना एवं किसी को चोरी आदि में प्रवृत्त करने के वचन बोलने को सावद्य वचन कहतें है।

उत्तर संख्या : 224 भय, खेद, बैर, शोक, कलह एवं परको संताप करने वाले जो भी वचन बोले जाते है उसे अप्रिय वचन कहते है.।

उत्तर संख्या : 225 मनुष्य कषायों के कारण, क्रोध के कारण, लोभ के कारण, हंसी के कारण, और भय के कारण झूठ बोलता है।

उत्तर संख्या : 226 उत्तर झूठ बोलने वालो की घर, समाज और देश मे कोई कीमत नहीं होती है। झूठ बोलने वालों का कोई भी विश्वास नहीं करता है। झूठ बोलने वालों को कोई भी अपना मित्र नही बनाता । असत्य बोलने वालों के सामने कोई बातचीत भी नही करता है। असत्य बोलने वालो को अच्छे व्यक्ति अपने पास नही बैठने देते है। असत्य बोलने वालो का यह लोक तो बिगडता ही है किन्तु परलोक में भी ठोकरें खानी पडती है।

उत्तर संख्या : 227 झूठ बोलने वाले को झूठा या दगाबाज भी कहते हैं।

उत्तर संख्या : 228 झूठ बोलने में सत्य घोष ब्राम्हण और वसु राजा प्रसिध्द हुये है।

उत्तर संख्या : 229 किसी की गिरी, पडी, रखी या भूली हुई वस्तु को बिना दिये ले लेना या उठाकर किसी को दे देना चोरी कहलाती है।

उत्तर संख्या : 230 सरे आम लूटमार करना या डकैती करना चोरी ही है। इसी प्रकार दूसरों की वस्तुओं को छिपकर उठा लेना भी चोरी है। किसी के रुपये पैसे आदि चुरा लेना भी चोरी है। किसी की धरोहर को पचा लेना भी चोरी है ।

उत्तर संख्या : 231 चोरी करने वालों की समाज एवं देश मे बुरी हालत होती है। चोरी करते हुये पुलिस द्वारा पकडे जाने पर, नरक जैसी भयंकर दर्दनाक यातनायें दी जाती है। चोर के पकडे जाने पर पुलिस को उसके रिश्तेदारों एवं परिवारवालों को लिखकर देना पडता है कि इससे हमारा कोई वास्ता नहीं है। चोरी करने वाले को आजीवन कारावास की सजा भोगनी पडती है। चोरी के अपराध से फाँसी जैसी सजा भी भोगनी पडती है. चोरी करने वालों पर कोई विश्वास नही करता है। चोरी करने वालों को कोई अपने पास भी नही बैठने देता है। चोरी करने के पाप से प्राणी को नरक एवं तिर्यच गति में भी दुःख उठाने पडते है। चोरी करने वालो को सर्वत्र अपमानित होना पडता है।

उत्तर संख्या : 232 चोरी करने वाले को चोर, तस्कर या लुटेरा भी कहते है।

उत्तर संख्या : 233 चोरी करने में एक तापसी प्रसिध्द हुआ है।

उत्तर संख्या : 234 वासना अथवा अनैतिक आचरण को कुशील पाप कहते है. दूसरे की माता बहन को बुरी दृष्टिसे देखना कुशील पाप है। स्वविवाहिता के अतिरिक्त अन्य नारियों से अनैतिक संबंध रखना कुशील है। मन वचन काय की अश्लीलता को कुशील पाप कहते है।

उत्तर संख्या : 235 जब वह वासना युक्त हो जाता है और बुरी संगति में फस जाता है तब मनुष्य कुशील सेवन करता है।

उत्तर संख्या : 236 कुशील सेवन करने से न्याय, नीति, मान, मर्यादा आदि सभी सद्‌गुणोंका पर पानी फिर जाता है। कुशील सेवन करने से शरीर आरोग्य यश एवं धन क्षीण हो जाता है। कुशील सेवन से समाज अथवा राजा के द्वारा दंडित किया जाता है। कुशील पाप के सेवन से अनगिनत दुरात्मायें दुर्गति के पात्र बनती है।

उत्तर संख्या : 237 कुशील पाप करने वालो को व्यभिचारी, जार, लुच्चा, बदमाश, या कुल्टा मी कहते है।

उत्तर संख्या : 238 कुशील पाप मे यमदंड कोतवाल प्रसिध्द हुआ एवं राजा भर्तृहरी की रानी पिंगल भी कुशील पाप में प्रसिध्द हुई ।

उत्तर संख्या : 239 कुशील पाप से बचने के लिये खोटे लडकों एवं लडकियों की संगति नहीं करनी चाहिये । खोटे अश्लील उपन्यास कादम्बरी आदि को नही पढना चाहिये। वासना युक्त सिनेमा एवं टी.वी. आदि पर आने वाले चित्रों को नही देखना चाहिये।

उत्तर संख्या : 240 शील मे १० कारणो से दोष आता है। १. स्त्री का संसर्ग करने मे २.) स्वादिष्ट आहार लेने से ३. सुंगधित पदार्थों द्वारा शरीर का संस्कार करने से ४. कोमल शैय्या एवं आसन पर बैठने से ५. अलंकार आदि से शरीर का श्रृगांर आदि करने से ६. राग वर्धक गीत वाद्य आदि सुनने से. ७. धन आदि ग्रहण करने से ८. कुशील सेवन करने वाले व्यक्तियों की संगति करने से ९ राजा आदि की सेवा करने से १० रात्रि में इधर उधर घुमने से इन दस कारणो से शील में दोष आता है।

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