उत्तर संख्या :
486 अरिहन्त परमेष्ठी में निम्नलिखित अवारह दोष नहीं होते हैं जन्म जरा तिरखा क्षुधा, विस्मरण आरत खेद। रोग शोक मद मोह भय, निद्रा चिन्ता स्वेद ॥ नाहिं होत अरिहन्त के, सो छवि लायक मोष ॥
अर्थात = अरिहन्त परमेष्ठी को ये अठारह दोष नहीं होते हैं
१. जन्म २. बुढ़ापा ३. प्यास ४. भूख ५. आश्चर्य ६. आरत ७. दुःख ८. रोग १. शोक १०. मद (घमण्ड) ११. मोह १२. भय १३. निद्रा १४ चिन्ता १५ स्वेद १६. रागं १७. द्वेष १८. मरण