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उत्तर संख्या : 521 स्पर्शन, रसना घ्राण, चक्षु और वर्ण इन पांचो इन्द्रियों को वश में करना पांच इन्द्रिय निरोध कहलाता है।

उत्तर संख्या : 522 १. समता २. वन्दना ३. स्तुति ४. प्रत्याख्यान ५. प्रतिक्रमण ६. कायोत्सर्ग ये छह आवश्यक है।

उत्तर संख्या : 523 १. केशलोच करना २. नग्न रहना ३. स्नान नहीं करना ४. भूमिपर सोना ५. आदंत धावन (दांतो को नहीं धोना) ६. खड़े खड़े हाथ में आहार लेना ७. दिन में एक बार आहार लेना। ये साधु के ७ शेष गुण है।

उत्तर संख्या : 524 पाँच परमेष्ठिया के कुल १४३ मूलगुण है। अरिहन्त के ४६. सिध्द के आचार्य के ३५, उपाध्याय के २५ तथा साधु के २८ इस प्रकार पाचा परमेष्ठिया के ४५+८+३६-२५+२८ = १४३ मूलगूण होते हैं।

उत्तर संख्या : 525 हाँ, आप भी परमेष्ठी बन सकते हैं, यदि आप उनके समान महान न कार्य करेंगे और उनके बताये हुये मार्ग पर चलेंगे, तो आप भी परमेष्ठी बन सकते हैं।

उत्तर संख्या : 526 पांच परमेठियों में से सिध्द परमेष्ठी मुक्त है एवं अरिहन्त परमेष्ठी जीवन मुक्त परमान है, शेष आचार्य, उपाध्याय व साधु परमेष्ठी संसारी है।

उत्तर संख्या : 527 अरिहन्त परमेष्ठी अब पुन: जन्म मरण नहीं करेंगे इसलिये उन्हें जीवन मुक्त कहते है।

उत्तर संख्या : 528 पांच परमेष्ठियों में से सिध्दों को छोड़कर शेष अरिहन्त आचार्य, उपाध्याय व साधु ये चार परमेष्ठी उपदेश देते हैं।

उत्तर संख्या : 529 पांच परमेष्ठियों में अरिहन्त व सिध्द को छोड़कर शेष आचार्य, उपाध्याय व साठ उत्तर ये तीन परमेष्ठी प्रत्यक्ष है।

उत्तर संख्या : 530 अरिहन्त, आचार्य, उपाध्याय व साधु ये चार परमेष्ठी इन्द्रिय सहित है।

उत्तर संख्या : 531 आचार्य, उपाध्याय व साधु ये तीन परमेष्ठी इन्द्रियों से काम लेते हैं।

उत्तर संख्या : 532 अरिहन्त, आचार्य, उपाध्याय व साधु ये चार परमेष्ठी मन सहित है।

उत्तर संख्या : 533 आचार्य, उपाध्याय व साधु ये तीन परमेष्ठी मन से जानते हैं।

उत्तर संख्या : 534 अरिहन्त, आचार्य, उपाध्याय व साधु ये चार परमष्ठी शरीर सहित होते है।

उत्तर संख्या : 535 अरिहन्त, आचार्य, उपाध्याय व साधु व चार परमेष्ठी विहार करते है।

उत्तर संख्या : 536 आचार्य, उपाध्याय, व साधु ये तीन परमेष्ठी आहार लेते है व तीनों खड़े-खड़े आहार लेते हैं।

उत्तर संख्या : 537 आचार्य, उपाध्याय व साधु वे तीनों परमेष्ठी बालों के बढ़ जान पर अपने हाथों से सिर, दाढी, मुन्छे के बाल लॉच कर निकालते है। इस क्रिया को केश लॉच कहते हैं।

उत्तर संख्या : 538 आचार्य, उपाध्याय व साधु ये तीन परमेष्ठी अन्तरात्मा है।

उत्तर संख्या : 539 परमात्मा दो प्रकार के होते हैं १. सकल परमात्मा २. निकल परमात्मा

उत्तर संख्या : 540 अरिहन्त परमेष्ठी शरीर सहित होने से सकल परमात्मा है।

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