णमोकार तीर्थ QA

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उत्तर संख्या : 581 सिध्द प्रतिमा पर, सामान्य केवली की प्रतिमा पर एवं मुनियों की प्रतिमाओं पर चिन्ह नहीं होता है।

उत्तर संख्या : 582 बिना चिन्ह की प्रतिमाओं पर सिध्द, केवली या मुनि का नाम लिखा जाता है, उसी से पहचाना जाता है।

उत्तर संख्या : 583 नहीं, भरत और बाहुबली तीर्थकर नहीं, सामान्य केवली थे।

उत्तर संख्या : 584 तीर्थकर २४ होते हैं।

उत्तर संख्या : 585 हाँ, सभी काल में २४-२४ तीर्थकर होते हैं।

उत्तर संख्या : 586 नहीं, तीर्थकर भूत, भविष्य और वर्तमान इन तीनें कालों में होते हैं।

उत्तर संख्या : 587 तीर्थकर के गर्भादि के समय होने वाली विशेष आश्चर्य जनक घटनाओं को कल्याम कहते है। जिसे देखकर प्राणियों को सम्यक दर्शन एवं आत्म विशष्दि होती है कल्याणक कहते है।

उत्तर संख्या : 588 कल्याणक पांच होते हैं. १ गर्भ कल्याणक २. जन्म कल्याणक ३. दीक्षा कल्याणक ४. ज्ञान कल्याणक ५. मोक्ष कल्याणक

उत्तर संख्या : 589 तीर्थकर भरतक्षेत्र, ऐरावत क्षेत्र एवं विदेह क्षेत्र में जन्म लेते हैं।

उत्तर संख्या : 590 नहीं, सभी तीर्थकरों के पांच कल्याण नही होते हैं। भरत क्षेत्र और ऐरावत क्षेत्र में जन्म लेने वाले तीर्थकरों के ही पांच कल्याणक होते हैं।

उत्तर संख्या : 591 वर्तमान काल के २४ तीर्थकरों के नाम निम्न प्रकार है: तीर्थंकर का नाम = १. ऋषभनाथ (चिन्ह = बैल), २. अजितनाथ (हाथी), ३. संभवनाथ (घोड़ा), ४. अभिनन्दन नाथ (बन्दर), ५. सुमतिनाथ (चकवा), ६. पद्मप्रभ (लाल कमल), ७. सुपार्श्वनाथ (स्वस्तिक),८. चन्द्रप्रभ (चन्द्रमा), ९. पुष्पदन्त (मगर), १०. शीतलनाथ (कल्पवृक्ष), ११. श्रेयांसनाथ (गैंडा), १२. वासुपूज्य (भैसा), १३. विमलनाथ (शूकर), १४. अनंतनाथ (शेही), १५ धर्मनाथ (व्रजदण्ड), १६. शांतिनाथ (हरिण), १७. कुंथुनाथ (बकरा), १८. अरहनाथ (मछली), १९. मल्लिनाथ (कलश), २० मुनिसुव्रतनाथ (कछुआ), २१. नमिनाथ (नीलकमल), २२. नेमिनाथ (शंख), २३. पार्श्वनाथ (सर्प), २४. महावीर (सिंह)

उत्तर संख्या : 592 नहीं, विदेह क्षेत्र के तीर्थकरों के पांच कल्याण नहीं होते हैं। भरत क्षेत्र और ऐरावत क्षेत्र में जन्म लेने वाले तीर्थंकरों के ही पांच कल्याण होते हैं।

उत्तर संख्या : 593 नहीं, भरत क्षेत्र में एक साथ २४ तीर्थकर नही होते किन्तु एक के बाद एक ऐसे क्रम में एक काल में २४ तीर्थकर होते हैं। एक समय में एक ही तीर्थकर होता है।

उत्तर संख्या : 594 नही, विदेह क्षेत्र में २० तीर्थकर होते हैं।

उत्तर संख्या : 595 विदेह क्षेत्र में एक साथ कम से कम २० तीर्थकर होते है।

उत्तर संख्या : 596 ऐरावत क्षेत्र में भरत क्षेत्र के समान क्रम से एक काल में २४ तीर्थकर होते हैं।

उत्तर संख्या : 597 एक काल में अधिक से अधिक १७० तीर्थकर हा सकते हैं।

उत्तर संख्या : 598 भारत में एक काल एक और अढाई द्वीप में कुल भरत क्षेत्र ५ है। इसलिये ५ भरत क्षेत्र के ५ तीर्थकर हो सकते है। अढाई दीप में कुल ऐरावत क्षेत्र ५ है इसलिये ५ ऐरावत क्षेत्र में ५ तीर्थकर हो सकते हैं। अढ़ाई द्वीप में ५ विदेह क्षेत्र है एव १-१ विदेह में ३२-३२ नगरिया है। विदेह क्षेत्र की १-१ नगरी में १-१ तीर्थकर हो सकते हैं, इसलिये ५ विदेह की ५+३२ = १६० नगरियों में १६० तीर्थकर हो सकते हैं इस प्रकार कुल मिलाकर ५+५+१६० = १७० तीर्थकर हो सकते है।

उत्तर संख्या : 599 भरत और ऐरावत क्षेत्र के तीन काल के तीर्थकरों की संख्या तीस चौबीस अर्थात् ३० गुणा २४ = ७२० है।

उत्तर संख्या : 600 हाँ तीर्थंकरों की जन्म नगरीयाँ अलग-अलग है।

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