उत्तर संख्या :
81 छह द्रव्यों में से पुद्गल के बिना बाकी के पाँच द्रव्य अमूर्तिक हैं।
उत्तर संख्या :
82 • हलन चलन होने को क्रिया कहते हैं।
• एक स्थान से दूसरे स्थान को गमन करने रुप क्रिया या स्थानान्तरित होने को क्रिया कहते हैं।
उत्तर संख्या :
83 धर्म, अधर्म, आकाश, और काल ये चार द्रब्य निष्क्रिय अर्थात् क्रिया से रहित हैं।
उत्तर संख्या :
84 नहीं सिध्द भगवान आठों कर्मों से रहित होने के कारण वे क्रिया अर्थात हलन चलन नहीं करते हैं।
उत्तर संख्या :
85 नही, द्रव्य कभी भी अपने स्वरुप को नहीं छोड़ते हैं क्योंकी वे नित्य है।
उत्तर संख्या :
86 नही द्रव्यों की संख्या कभी भी कम या ज्यादा नहीं होती है, क्योंकि अवस्थित हैं।
उत्तर संख्या :
87 ये छहों द्रव्य लोकाकाश में पाये जाते हैं।
उत्तर संख्या :
88 छह द्रव्यों में से पाँच अस्तिकाय हैं।
उत्तर संख्या :
89 छह द्रव्यों में से काल द्रव्य अस्तिकाय नहीं है |
उत्तर संख्या :
90 • बहुप्रदेशी द्रव्य को अस्तिकाय कहते हैं।
• एक से अधिक प्रदेश जिसमे पाये जाते हैं उसे अस्तिकाय कहते हैं। अस्ति-माने रहना और काय माने शरीर । अर्थात शरीर के समान बहुत प्रदेश जिसमें रहते हैं उसे अस्तिकाय कहते हैं।
उत्तर संख्या :
91 पुद्गल परमाणु में स्निग्ध रुक्षत्व गुण के कारण स्कन्ध रुप होने की शक्ति होने से उसे उपचार से अस्तिकाय कहा है।
उत्तर संख्या :
92 क्यों कि कालाणु में स्निग्ध और रुक्षत्व गुण नहीं होने से उसे उपचार से अस्तिकाय नहीं कहा है।
उत्तर संख्या :
93 अजीव अस्तिकाय चार है।
१. पुद्गलास्तिकाय
२. धर्मास्तिकाय
३. अधर्मास्तिकाय
४. आकाशस्तिकाय
उत्तर संख्या :
94 पुद्गल के एक से अधिक प्रदेश होते हैं, अतः पुद्गल द्रव्य को पुद्गलास्तिकाय कहते हैं।
उत्तर संख्या :
95 धर्म द्रव्य के असंख्यात प्रदेश होने से उसे धर्मास्तिकाय कहते हैं।
उत्तर संख्या :
96 अधर्म द्रव्य के असंख्यात प्रदेश होते हैं अतः उसे अधर्मास्तिकाय कहते हैं।
उत्तर संख्या :
97 छह द्रव्यों में से जीव और पुद्गल ये दो द्रव्य क्रियावान द्रब्य हैं।
उत्तर संख्या :
98 काल द्रव्य का एक ही प्रदेश होने से वह अस्तिकाय नहीं है।
उत्तर संख्या :
99 आकाश द्रव्य के अनन्त प्रदेश होने से उसे आकाशास्तिकाय कहते हैं।
उत्तर संख्या :
100 • जीवादि के स्वभाव को तत्व कहते हैं।
• वस्तु के स्वभाव को तत्व कहते हैं।