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उत्तर संख्या : 141 ज्ञानावरणादि कर्मों के आगमन को रोकना द्रव्या संवर है।

उत्तर संख्या : 142 आत्मा के जिन परिणामों से कर्मों के आगमन को रोका जाता हैं, आत्मा के उस परिणाम विशेष को भाव संवर कहते हैं।

उत्तर संख्या : 143 व्रत-समीति-गुप्ति-दश-धर्म-अनुप्रेक्षा परीषह जय एवं चारित्र के द्वारा भाव- संवर किया जाता हैं।

उत्तर संख्या : 144 भाव संवर के होने पर ही द्रव्य संवर होता हैं ?

उत्तर संख्या : 145 जो सम्यक्त्व व्रत, नियम, वगैरह को धारण करते हैं उनको संवर होता हैं ।

उत्तर संख्या : 146 अशुभ कर्मों का संवर शुभ भावों से होता हैं ।

उत्तर संख्या : 147 अशुभ भावों से शुभ कर्मों का संवर होता हैं।

उत्तर संख्या : 148 शुध्द भावों से भी अशुभ कर्मों का ही संवर होता हैं।

उत्तर संख्या : 149 अशुभ कर्मों के संवर से अशुभ कर्मों का आस्त्रव रुक जाता हैं एंव पाप कर्मों *से और उनकर्मों के फल से जीव बच जाता हैं

उत्तर संख्या : 150 पहले तो अशुभ कर्मों का ही संवर करना चाहिये

उत्तर संख्या : 151 • कर्मों को आत्मा से एकदेश पृथक होना निर्जरा है। • थोडा थोडा करके कर्म खिरते जाने को निर्जरा तत्व कहते हैं। • उपर्जित कर्मों का एक देश क्षय हो जाने को निर्जरा कहते हैं ।

उत्तर संख्या : 152 निर्जरा दो प्रकार की है। १. सविपाक निर्जरा २. अविपाक निर्जरा - अथवा १. अकाम निर्जरा २. सकाम निर्जरा - अथवा १. द्रव्य निर्जरा २. भाव निर्जरा

उत्तर संख्या : 153 कर्मों की स्थिती पूर्ण होने पर अपने आप कर्म उदय में आकर खिर जाने को अविपाक निर्जरा कहते है।

उत्तर संख्या : 154 • द्रव्य क्षेत्र काल भाव के निमित्त से कर्मों की स्थिती पूर्ण होने के पहले ही उदय में आकर के खिर जाने को सविपाक निर्जरा कहते हैं। • तप आदि के निमित्त से जो कर्म स्थिती पूर्ण होने के पहले ही कर्म का उदय में आकर खिर जाना अविपाक निर्जरा है।

उत्तर संख्या : 155 इच्छा के न होते हुये भी, भूख प्यास आदि की बाधा को शान्तिपूर्वक करने से जो निर्जरा होती है उसे अकाम निर्जरा कहते हैं।

उत्तर संख्या : 156 तपश्चरण आदि पूर्वक कर्मों को उदय में लाकर जो खिराया जाता है उसे सकाम निर्जरा कहते है।

उत्तर संख्या : 157 अकाम निर्जरा से जीव भवनत्रिक देवो में उत्पन्न होता है।

उत्तर संख्या : 158 सकाम निर्जरा से जीव वैमानिक वासी देवों में व मोक्ष में जाता है।

उत्तर संख्या : 159 ज्ञानावरणादि आठ कर्मों के आंशिक रुप से खिरने को द्रव्य निर्जरा कहते है।

उत्तर संख्या : 160 जिन परिणामें से बंधे हुये कर्म एक देश झड जाते जै उसे भाव निर्जरा कहते है।

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